Wednesday, May 9, 2018

आखिरकार 2015 परमाणु डील से अलग हुआ अमेरिका, भड़का ईरान; फ्रांस-रूस निराश


आखिरकार अमेरिका ने ईरान के साथ परमाणु समझौता तोड़ ही दिया। ईरान की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को खत्म करने का फैसला लिया। मंगलवार को व्हाइट हाउस से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कर ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते से अमेरिका को अलग होने की घोषणा की। हालांकि ट्रंप के इस ऐलान के बाद तुरंत बाद ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि उनका देश अमेरिका के बिना भी इस परमाणु समझौते का हिस्सा बना रहेगा।
ट्रंप ने क्या कहा
ट्रंप ने कहा, 'ईरान समझौता मूल रूप से दोषपूर्ण है, इसलिए मैं आज (मंगलवार) ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने की घोषणा कर रहा हूं।' जिसके बाद उन्होंने ईरान के खिलाफ ताजा प्रतिबंधों वाले दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किये। साथ ही ट्रंप ने आगाह किया कि जो भी ईरान की मदद करेगा उन्हें भी प्रतिबंध झेलना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस फैसले से दुनिया में यह संदेश जाएगा कि अमेरिका सिर्फ धमकी ही नहीं देता है, बल्कि करके भी दिखाता है।
इस बीच ट्रंप ने दावा किया कि इस परमाणु समझौते से अलग होना अमेरिका के हित में है। इससे अमेरिका को सुरक्षित बनाने में मदद मिलेगी। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी थी कि वो इस परमाणु समझौते को 12 मई से आगे नहीं बढ़ाएंगे। ट्रंप ने सख्ती के साथ कहा था कि अमेरिका के यूरोपीय सहयोगी न्यूक्लियर डील की खामियों को दूर करें, अन्यथा वे फिर से पाबंदी लगाएंगे। 
ट्रंप ने यह फैसला कर प्रमुख यूरोपीय सहयोगियों तथा अमेरिका के शीर्ष डेमोक्रेट नेताओं की सलाह को नजरअंदाज किया। अपने चुनाव प्रचार के समय से ही ट्रंप ने ओबामा के समय के ईरान परमाणु समझौते की कई बार आलोचना की है। उन्होंने समझौते को खराब बताया था। इस समझौते के वार्ताकार तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी थे।
क्यों समझौते से अलग हुआ अमेरिका?
अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कहना है कि  ईरान परमाणु समझौते का गलत इस्तेमाल कर रहा है। ईरान उसे मिल रही परमाणु सामग्री का इस्तेमाल हथियार बनाने में कर रहा है। परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल का निर्माण कर रहा है। वह सीरिया, यमन और इराक में शिया लड़ाकों और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को हथियार सप्लाई कर रहा है।
ईरान पर फिर लागू होगा प्रतिबंध
-  ईरान पर अमेरिका आर्थिक प्रतिबंध फौरन नहीं लगाएगा
-  90 से 180 दिन बाद लगेगा आर्थिक प्रतिबंध 
- प्रतिबंध उन्हीं उद्योगों पर लगाए जाएंगे जिनका जिक्र 2015 की डील में था
- इनमें तेल सेक्टर, विमान निर्यात, कीमती धातु का व्यापार आदि शामिल 
फैसले की ईरान ने की निंदा
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ट्रंप के इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की है। इस फैसले के तुरंत बाद ईरान ने कहा कि उनका देश अगले सप्ताह से पहले से कहीं अधिक मात्रा में यूरेनियम का संवर्धन करेगा। रूहानी ने कहा, 'मैं ट्रंप के फैसले पर यूरोप, रूस, चीन से बात करूंगा।' उन्होंने कहा कि वे अपने सहयोगियों और परमाणु समझौते में शामिल अन्य देशों के साथ बातचीत के लिए कुछ हफ्ते ही इंतजार करेंगे।
ट्रंप के फैसले पर प्रतिक्रिया
- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी इस फैसले को बड़ी गलती बताया है। उन्होंने कहा कि इससे अमेरिका की वैश्विक विश्वसनीयता खत्म हो जाएगी।
- इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से अमेरिका को अलग करने का ट्रंप का फैसला बिल्कुल सही और साहसिक है।
- फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों ने इस फैसले पर दुख जताते हुए कहा है कि अमेरिका के इस फैसले से रूस, जर्मनी और ब्रिटेन निराश हैं।
- रूस का कहना है कि वह ट्रंप के फैसले से बेहद निराश है।
क्या है 2015 परमाणु डील
बता दें कि जुलाई 2015 में ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था। समझौते के मुताबिक ईरान को अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को कम करना था और अपने परमाणु संयंत्रों को निगरानी के लिए खोलना था, बदले में उसपर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में आंशिक रियायत दी गई थी। लेकिन ट्रंप का आरोप है कि ईरान ने दुनिया से छिपकर अपने परमाणु कार्यक्रम को जारी रखा।

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