इलाहाबाद
(जेएनएन)। उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच को लेकर प्रदेश भर
में खलबली का मची है। सीबीआइ को अब तक मिले सबूत और आयोग में मिल रहे उसके प्रमाण
से आसार जताए जा रहे हैं कि प्रदेश में कार्यरत एक सौ से अधिक पीसीएस अफसरों की
नौकरी पर तलवार लटक गई है। सबूत को पुख्ता करने के लिए सीबीआइ के दर्जनों अधिकारी
आयोग के मुख्य परीक्षा अनुभाग में प्रवेश कर गए हैं। सीबीआइ सूत्रों की मानें तो
इतने अधिक अफसरों के गलत चयन सिर्फ पीसीएस 2015 में ही हुए हैं।
मालूम हो कि सीबीआइ के 50 से अधिक तेजतर्रार अधिकारी एसपी राजीव रंजन के
निर्देशन में इन दिनों आयोग में अभिलेखों का परीक्षण कर रहे हैं। 31 जनवरी, 2018 से जांच शुरू हुई है और अब तक सीबीआइ को
जो सबूत मिले हैं वह सब आयोग के खिलाफ ही जा रहे हैं। सीबीआइ जांच में प्राथमिक
रूप से यह संदेह हुआ है कि आयोग के पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के इशारे पर
नंबरों के खेल में प्रदेश की सबसे विशिष्ट नौकरी यानी प्रांतीय सिविल सेवा एक जाति
विशेष के अभ्यर्थियों और अन्य चहेतों की झोली में डाली गई। पीसीएस 2015 में कुल 521 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था।
सीबीआइ
सूत्रों का कहना है कि बड़ी तादाद में चयन मनमाने तरीके से किए गए। अब तक जांच में
एक सौ से अधिक पीसीएस अफसरों के बारे में हुआ संदेह धीरे-धीरे पक्का हो रहा है। इस
संदेह को प्रमाणिक रूप से साबित करने के लिए सीबीआइ के 50 से अधिक अफसर पिछले चार दिनों से आयोग में डेरा डाले हैं। गुरुवार शाम से
जांच अधिकारियों ने पीसीएस मुख्य परीक्षा अनुभाग को कब्जे में ले लिया है। वहां से
सभी रिकार्ड सीबीआइ स्वयं ही ले रही है। इससे प्रदेश में कार्यरत अफसरों में खलबली
मची है।
कोर्ट
में प्रस्तुत की जाएगी जांच रिपोर्ट
सीबीआइ अफसरों का कहना है कि कुछ ही दिनों में अभिलेखों का परीक्षण
कर चयनितों से एक बार फिर पूछताछ की जाएगी उसके बाद जांच रिपोर्ट कोर्ट में
प्रस्तुत कर दी जाएगी। जांच में यह कार्रवाई निर्णायक होगी।