Friday, May 4, 2018

विश्व के सर्वाधिक 20 प्रदूषित शहरों की सूची में राजधानी दिल्ली, आईना दिखाती WHO की रिपोर्ट


विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी विश्व के सर्वाधिक 20 प्रदूषित शहरों की सूची दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार को भी आईना दिखाती है। यह रैंकिंग बताती है कि तमाम दावों से इतर आप सरकार प्रदूषण से जंग में बहुत ही बुरी तरह पराजित हुई है। दिल्ली इस सूची में जहां सातवें से छठे नंबर पर आ गई है, वहीं पीएम 2.5 का स्तर भी 123 से बढ़ कर 143 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर हो गया है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी पिछले वर्षों की रैंकिंग पर नजर डालें तो 2012 में विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली थी ही नहीं। 2013 2014 की सूची में दिल्ली को सातवां स्थान मिला। 2015 में विभिन्न वजहों से दिल्ली का रैंक चौथा रहा। आप सरकार ने फरवरी 2015 में जब सत्ता संभाली तो दिल्ली की इस आबोहवा सुधारने के लिए तमाम दावे पेश किए।
लेकिन इन दावों का परिणाम 2016 की सूची में ही सामने आ जाता है जिसमें दिल्ली को छठा स्थान हासिल हुआ है। अगर एक 2015 का रैंक छोड़ दें तो आप सरकार के कार्यकाल में दिल्ली का प्रदूषण और ज्यादा बढ़ गया है। इसीलिए दिल्ली का रैंक भी सात की बजाए छह हो गया है।
आलम यह है कि साल दर साल दिल्ली की हालत खस्ता होती जा रही है, जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन या तो जुबानी जंग लड़ते रहते हैं या चिट्ठी पत्री खेलते रहते हैं। सवा तीन साल पहले जब आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता के लिए चुनाव लड़ा तो घोषणा पत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए भी बड़े-बड़े वायदे किए।
लेकिन सभी वायदे हवाई किले साबित हुए। हालात इस हद तक बिगड़ चुके हैं कि दो वर्ष से तो हर सर्दियों में दिल्ली गैस चैंबर बन रही है। स्थिति की भयावहता को देखते हुए ही पिछले नवंबर माह में पीएमओ तक को इस संबंध में सक्रिय होना पड़ा।
दिल्ली सरकार का लापरवाह रवैया
2016 और 2017 में अक्टूबर-नवंबर माह में दिल्ली में स्मॉग इमरजेंसी लागू हुई और हफ्ते भर तक बनी रही, लेकिन दिल्ली सरकार इससे निपटने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई। न तो ऑड इवेन ही लागू किया जा सका, न सार्वजनिक परिवहन में सुधार हो पाया। यहां तक कि सख्ती के अभाव में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के मानक भी सफेद हाथी ही साबित हुए हैं। हर स्तर पर हर मानक का उल्लंघन देखा जा सकता है। जबकि दिल्ली सरकार हमेशा पराली पर ही आरोप प्रत्यारोप में उलझी रहती है।
दिल्ली सरकार से अधिकार छीनने पर भी हो चुकी है चर्चा
दिल्ली में वायु प्रदूषण के बिगड़ते हालात पर पीएमओ और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सिर्फ समीक्षा बैठकें ही नहीं की, बल्कि इस पर भी मंथन किया कि अगर दिल्ली सरकार दिल्ली वासियों के स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रख पाती है और अपने कर्तव्यों का निवर्हन करने में नाकाम रहती है तो क्या किया जाए ? दिल्ली सरकार से इस संबंध में तमाम अधिकार छीनने पर भी चर्चा हो चुकी है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए यह थे आम आदमी पार्टी के वायदे
1- यमुना को पुनर्जीवित करने के लिए एक व्यापक सीवरेज नेटवर्क और नए मलजल उपचार संयत्रों का निर्माण किया जाएगा। यमुना में अनुपचारित पानी व औद्योगिक अपशिष्ट के प्रवेश पर सख्ती से रोक लगाई जाएगी।
2-  कचरा प्रबंधन के लिए दुनिया भर की तकनीके अपनाने को प्रोत्साहन दिया जाएगा। घरेलू स्तर पर कचरे की रि-साइक्लिंग को भी प्रोत्साहन दिया जाएगा। सार्वजनिक स्थलों पर कचरा या मलबा गिराने जाने पर भारी जुर्माने का प्रावधान होगा।
3-  दिल्ली रिज को अतिक्रमण और वनों की कटाई से संरक्षित किया जाएगा। स्थानीय मोहल्ला सभा के सहयोग से दिल्ली के सभी हिस्सों में वन क्षेत्र को बढ़ावा दिया जाएगा।
4 - शहर को साफ करने के लिए वैक्यूम मशीनों की मदद ली जाएगी।
5-  सीएनजी और बिजली की तरह कम उत्सर्जन वाले ईंधन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
6-  ईंधन में मिलावट करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
दावों की हकीकत रही कुछ ऐसी
1- घोषणा पत्र के वायदों मे से एक पर भी काम नहीं किया गया।
2- सर्दियों में दिल्ली के गैस चैंबर बनने के लिए हरियाणा और पंजाब की पराली के धुंए को दोषी ठहराया गया।
3- 20 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों पर अभी तक भी बेहतर ढंग से काम शुरू नहीं हो पाया है।
4- धूल धक्कड़ वाले स्थानों पर हवाई जहाज से पानी के छिड़काव की योजना बनाई गई, जोकि हवा में ही उड़ गई।
5- एंटी स्मॉग गन का ट्रायल किया गया जोकि पहले ही चरण में असफल करार दे दिया गया।
6- आइटीओ फ्लाइओवर और इंद्रप्रस्थ मार्ग पर पल्यूशन टावर लगाए गए, पर वे भी बेमानी ही साबित हुए।
7- श्मशान घाट में प्रदूषण कम करने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिख डाला। इस पर भी आप सरकार को खासी किरकिरी झेलनी पड़ी।
2018-19 का ग्रीन बजट भी है हवा हवाई
दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों ग्रीन बजट में जिन योजनाओं की घोषणा की, उन्हें लेकर भी डेढ़ माह में कोई एक्शन प्लान तैयार नहीं किया जा सका है। एक हजार नई स्टेंडर्ड बसें खरीदे जाने की योजना पर हाई कोर्ट सवाल खड़े कर चुकी है जबकि एक हजार इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए सरकार ने बजट का ही प्रावधान नहीं किया है।
961 करोड़ के हरित कर में से भी 1.23 करोड़ ही किए जा सके खर्च
दिल्ली की आबोहवा को बेहतर बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में कमर्शियल वाहनों पर जो हरित कर लगाया, उससे आप सरकार को अभी तक 961 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं। लेकिन इसमें से खर्च हो पाए हैं महज 1.23 करोड़ रुपये। यानि आप सरकार यहां भी फिसडडी ही साबित हुई है।
पर्यावरण को लेकर दिल्ली सरकार और दिल्ली सरकार नियंत्रित दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) का रवैया आमतौर पर लापरवाह ही बना रहता है। यही वजह है कि भले योजनाएं कितनी बनाई गई हों, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आया। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण एवं संरक्षण प्राधिकरण (ईपीसीए) भी इसी कारण सरकार से नाराज रहा है। सुप्रीम कोर्ट की भी बार बार फटकार पड़ती रही है।
-ए. सुधाकर, सदस्य सचिव, सीपीसीबी।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट गंभीर ही नहीं है, यह हमें चेताती भी है कि प्रदूषण का स्तर कितनी तेजी से बढ़ रहा है और किस तरह जन स्वास्थ्य के स्तर पर इमरजेंसी वाले हालात बन रहे हैं।
-सुनीता नारायण, मशहूर पर्यावरणविद।
डब्ल्यूएचओ की रैंकिंग दिल्ली एनसीआर सहित देश के उन तमाम शहरों के लिए एक रिमाइंडर है जहां वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। इस दिशा में अविलंब गंभीर प्रयास करना समय की जरूरत बन गया है। सख्ती के साथ पीएम 2.5 के बढ़ते स्तर को भी नियंत्रित करना होगा।
-अनुमिता रॉय चौधरी, कार्यकारी निदेशक, सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई)।
दिल्ली सरकार के बदले सुर, केंद्र से मांगी मदद
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन ने बुधवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डा. हर्षवर्धन को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने डब्ल्यूएचओ रैंकिंग का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को एनसीआर के सभी सदस्य राज्यों की बैठक बुलाने का आग्रह किया है। साथ ही यह भी कहा है कि वायु प्रदूषण की समस्या पर मिल- जुलकर ही काबू पाया जा सकता है। इस पत्र में इमरान हुसैन ने फरवरी माह में केंद्र सरकार की मदद से चलाए गए क्लीन एयर कैंपेन की सराहना की है। साथ ही ऐसे ही कुछ प्रयास भविष्य में भी करने का अनुरोध किया है।

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