Thursday, May 9, 2019

हाईकोर्ट का कड़ा रुख, नाकारा अफसरों को घर बिठाएं


सात न्यायाधीशों की वृहद पीठ ने हाईकोर्ट की सुरक्षा व सुविधाओं के संबंध में जानकारी न दे पाने पर अधिकारियों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि काम न करने वाले अधिकारियों को घर बैठा देना चाहिए। 
जानकारी देने में असमर्थ:मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने कहा कि  निर्देशों का पालन नहीं किया गया और पूछने पर अधिकारी कुछ भी बता पाने में असमर्थ हैं। सचिव कोर्ट में उपस्थित हैं और उन्हें कुछ पता ही नहीं और जिन्हें पता है, वे सब कुछ गोपनीय रखे हैं। कोर्ट ने अपर महाधिवक्ता से सभी संबंधित अधिकारियों को बुलाकर जानकारी उपलब्ध कराने का आदेश दिया। साथ ही मामले पर सुनवाई 10 मई तक के लिए स्थगित कर दी। 
सिर्फ हलफनामा:मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल, न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, न्यायमूर्ति एसके गुप्ता, न्यायमूर्ति बीके नारायण एवं न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर की वृहद पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि कार्य की कोई प्रगति नहीं है, सरकार केवल हलफनामा दाखिल कर रही है। 
जवाबदेही तय नहीं:वृहद पीठ ने पूछा जवाबदेही तय हुई या नहीं तो कोर्ट में मौजूद राजकीय निर्माण निगम के मैनेजर इलेक्ट्रिकल समीर गुप्ता ने बताया कि विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है। चार्जशीट सौंपी गई है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बारे में कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश की जेलों में 71 तकनीकी एक्सपर्ट के पद दिए गए हैं। पीठ ने जानना चाहा कि हाईकोर्ट व अन्य अदालतों में तकनीकी विशेषज्ञ न देने से सिस्टम कैसे काम करेगा।
कोर्ट ने कहा कि 75 जिला न्यायालयों में से 64 में पावर फीडर दिये गए हैं। दावा किया जा रहा है कि 24 घंटे बिजली दी जा रही है, अलग फीडर की जरूरत नहीं है। जबकि हालत यह है कि प्रयागराज में ही दिन में कई बार बिजली कटती है।
हाईकोर्ट की सुरक्षा में खामी पर नाराजगी
हाईकोर्ट की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं लेकिन काम नहीं कर रहे हैं। उनकी मॉनीटरिंग व मरम्मत की व्यवस्था नहीं है। कई कैमरे खराब हैं। ये कैमरे सजावटी पीस बनकर रह गए हैं। वर्ष 2015 में शुरू हुआ काम 2019 में अब तक पूरा नहीं हो सका। शुरू में डुप्लीकेट कैमरे लगाए गए, उसके बाद बदले गए लेकिन क्रियाशील ही नहीं हैं। 

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