जॉनसन एंड
जॉनसन कंपनी पर दुनिया के सबसे बड़े मुआवजे के मुकदमों में से एक का ट्रायल
अमेरिका के ओक्लाहोमा प्रांत में मंगलवार से शुरू होने जा रहा है। अदालत में
ओक्लाहोमा सरकार द्वारा बताया गया है कि इन मुकदमों का हर्जाना करीब 1750 करोड़ डॉलर
कीमत का बैठेगा। यह मुकदमा यहां के अटॉर्नी जनरल माइक हंटर द्वारा दायर किया गया
है। इसमें आरोप हैं कि दवा कंपनियों ने धोखे से ओपीऑइड (एक किस्म के दर्दनिवारक)
को बेचा और इस दौरान इनकी लत लगने की संभावना को छिपाया।
माना जा रहा
है कि इन ओपीऑइड में वे प्रिस्क्रिप्शन पेनकिलर (हमारे नर्वस सिस्टम की सिग्नल
भेजने की क्षमता को प्रभवित कर हमें दर्द का अनुभव करने से रोकने वाली शक्तिशाली
दवाएं) और हेरोइन शामिल थे। अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम विभाग के अनुसार इनके
ओवरडोज की वजह से वर्ष 2017 में अमेरिका में 47.6 हजार नागरिकों की मौत हो गई थी। ट्रायल
क्लीवलैंड काउंटी के जिला जज द्वारा सुना जाएगा।
आरोप : महामारी जैसे हालात पैदा कर दिए देश में
इस मामले में दायर दो हजार से अधिक मुकदमों में से यह मुकदमा एक है। इनमें बताया गया है कि जॉनसन एंड जॉनसन, परड्यू, टेवा, एंडो इंटरनेशनल आदि ने बाकायदा मार्केटिंग अभियान चलाकर धोखे से ऑपीऑइड को फायदेमंद बताया। इनका इस्तेमाल लंबे समय तक निरंतर करने के लिए कहा गया। इन दवाओं में परड्यू कंपनी की 1996 में आए ऑक्सीकोंटिन जैसी दवा शामिल है। वकीलों द्वारा बताया गया है कि इन दवा कंपनियों ने मार्केटिंग के जरिए नागरिकों के बीच एक महामारी जैसे हालात पैदा कर दिए थे। इसका मुआवजा कंपनियां को चुकाना ही चाहिए।
दवा कंपनियों का इनकार, बचने के लिए खुद को दिवालिया साबित करने की तैयारी
दवा कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनके उत्पादों पर अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन से प्रमाणित होने का लेबल लगा था। इनमें इन दवाओं की लत लगने की चेतावनी भी दी गई थी। वे नागरिकों को हुए नुकसान का कारण नहीं माने जा सकते। विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक परड्यू पर मालिकाना हक रखने वाले सेकलर परिवार ने कंपनी दिवालिया घोषित करने के आवेदन पर विचार शुरू कर दिया है। कई कंपनियों ने हर्जाना में अपने हिस्से का कुछ पैसा चुकाने पर रजामंदी देनी शुरू कर दी है।
आरोप : महामारी जैसे हालात पैदा कर दिए देश में
इस मामले में दायर दो हजार से अधिक मुकदमों में से यह मुकदमा एक है। इनमें बताया गया है कि जॉनसन एंड जॉनसन, परड्यू, टेवा, एंडो इंटरनेशनल आदि ने बाकायदा मार्केटिंग अभियान चलाकर धोखे से ऑपीऑइड को फायदेमंद बताया। इनका इस्तेमाल लंबे समय तक निरंतर करने के लिए कहा गया। इन दवाओं में परड्यू कंपनी की 1996 में आए ऑक्सीकोंटिन जैसी दवा शामिल है। वकीलों द्वारा बताया गया है कि इन दवा कंपनियों ने मार्केटिंग के जरिए नागरिकों के बीच एक महामारी जैसे हालात पैदा कर दिए थे। इसका मुआवजा कंपनियां को चुकाना ही चाहिए।
दवा कंपनियों का इनकार, बचने के लिए खुद को दिवालिया साबित करने की तैयारी
दवा कंपनियों ने आरोपों से इनकार किया है। उनका कहना है कि उनके उत्पादों पर अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन से प्रमाणित होने का लेबल लगा था। इनमें इन दवाओं की लत लगने की चेतावनी भी दी गई थी। वे नागरिकों को हुए नुकसान का कारण नहीं माने जा सकते। विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक परड्यू पर मालिकाना हक रखने वाले सेकलर परिवार ने कंपनी दिवालिया घोषित करने के आवेदन पर विचार शुरू कर दिया है। कई कंपनियों ने हर्जाना में अपने हिस्से का कुछ पैसा चुकाने पर रजामंदी देनी शुरू कर दी है।