सुदूर रेगिस्तान में गायों के लिए एक एयरकंडीशंड बाड़ा, गायों का दूध निकालने के लिए मशीनें।।। ये
नज़ारा खाड़ी के देश क़तर की एक डेयरी का है। साल भर पहले क़तर में ऐसी कोई डेयरी
नहीं थी, गायों के लिए एयरकंडीशंड बाड़े जैसी कोई चीज़ नहीं
थी। दूध के लिए सऊदी अरब से होने वाली सप्लाई ही सहारा था।
लेकिन अब क़तर के बलाडना फार्म में 10 हज़ार गायें हैं और इनमें ज़्यादातर अमरीका से लाई गईं उन्नत
नस्ल की गायें हैं। खाड़ी संकट शुरू होने के महीने भर बाद ही गायों की पहली खेप
क़तर एयरवेज़ की फ़्लाइट से यहां लाई गई थीं।
ये वो वक़्त था जब क़तर के अरब पड़ोसियों ने उसकी नाकेबंदी कर दी थी और ज़रूरी चीज़ें उसके यहां पहुंचने से रोक दी गई थीं। पर क़तर इन हालात से आगे बढ़ गया है। इस मुल्क में गायें अब राष्ट्रीय गर्व और खुद पर भरोसे के प्रतीक के तौर पर देखी जा रही हैं।
ये वो वक़्त था जब क़तर के अरब पड़ोसियों ने उसकी नाकेबंदी कर दी थी और ज़रूरी चीज़ें उसके यहां पहुंचने से रोक दी गई थीं। पर क़तर इन हालात से आगे बढ़ गया है। इस मुल्क में गायें अब राष्ट्रीय गर्व और खुद पर भरोसे के प्रतीक के तौर पर देखी जा रही हैं।
अरब देशों के पुराने दुश्मन ईरान
बलडाना फार्म के मैनेजर पीटर वेल्टेव्रेडेन कहते हैं, "सभी ये कह रहे थे कि ऐसा करना
नामुमकिन है लेकिन हम ने इसे कर दिखाया।" उन्होंने कहा,"हमने वादा किया था कि क़तर का संकट शुरू होने के एक साल के भीतर हम ताजे
दूध के मामले में आत्मनिर्भर हो जाएंगे।"
पिछले साल पांच जून को ही सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र ने क़तर से सभी तरह के कूटनीतिक, व्यापारिक और ट्रांसपोर्ट लिंक तोड़ लिए थे। इन देशों ने क़तर पर चरमपंथ को समर्थन देने, क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने और अरब देशों के पुराने दुश्मन ईरान के साथ नजदीकियां बढ़ाने का आरोप लगाया था।
क़तर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उसने मुश्किल खड़ी कर रहे पड़ोसी देशों की मांगों के सामने झुकने से भी इनकार कर दिया। इस दौलतमंद मुल्क़ ने खाड़ी देशों के बहिष्कार को अपनी संप्रभुता को दी गई चुनौती के तौर पर देखा और इससे बाहर निकलने के रास्ते खोज निकाले।
पिछले साल पांच जून को ही सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र ने क़तर से सभी तरह के कूटनीतिक, व्यापारिक और ट्रांसपोर्ट लिंक तोड़ लिए थे। इन देशों ने क़तर पर चरमपंथ को समर्थन देने, क्षेत्रीय अस्थिरता फैलाने और अरब देशों के पुराने दुश्मन ईरान के साथ नजदीकियां बढ़ाने का आरोप लगाया था।
क़तर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उसने मुश्किल खड़ी कर रहे पड़ोसी देशों की मांगों के सामने झुकने से भी इनकार कर दिया। इस दौलतमंद मुल्क़ ने खाड़ी देशों के बहिष्कार को अपनी संप्रभुता को दी गई चुनौती के तौर पर देखा और इससे बाहर निकलने के रास्ते खोज निकाले।
क़तर के अमीर के हवाले से
क़तर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद अब्दुलरहमान अल-थानी कहते हैं, नाकेबंदी करने वाले देश इस क्षेत्र में
अपना दबदबा बढ़ाना चाहते थे। जो भी उनसे अलग था, उन्होंने
उसको एक आतंकवादी की तरह पेश करना शुरू कर दिया। क़तर का कहना है कि पिछले साल
उसकी सरकारी न्यूज़ एजेंसी की वेबसाइट पर साइबर हमला किया गया और इसके बाद से ही
खाड़ी संकट शुरू हुआ। इस साइबर हमले में क़तर के अमीर के हवाले से कथित तौर पर
झूठी ख़बरें फैलाई गईं।
फ़ेक न्यूज़ फैलाने की घटना में क़तर के अमीर के हवाले से लेबनान के हिज़बुल्लाह चरमपंथियों और गज़ा के हमास के लिए सहानुभूति जताई थी। क़तर के अमीर के हवाले से ये भी कहा गया कि डोनल्ड ट्रंप ज़्यादा समय तक अमरीका के राष्ट्रपति नहीं रह पाएंगे। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि क़तर संकट के बीज काफी पहले बो दिए गए थे।
फ़ेक न्यूज़ फैलाने की घटना में क़तर के अमीर के हवाले से लेबनान के हिज़बुल्लाह चरमपंथियों और गज़ा के हमास के लिए सहानुभूति जताई थी। क़तर के अमीर के हवाले से ये भी कहा गया कि डोनल्ड ट्रंप ज़्यादा समय तक अमरीका के राष्ट्रपति नहीं रह पाएंगे। हालांकि विश्लेषकों का कहना है कि क़तर संकट के बीज काफी पहले बो दिए गए थे।
गद्दाफी के पतन के बाद
अमरीका स्थित संगठन अरबिया फाउंडेशन के संस्थापक अली शिहाबी कहते हैं, "ये बीस सालों से बोतल में बंद जिन्न
की तरह था जो साल भर पहले बाहर निकल गया।" साल 2011 में
लीबिया के नेता कर्नल गद्दाफी के पतन के बाद क़तर के मौजूदा अमीर के पिता का एक
टेप सामने आया था।
अली शिहाबी इस टेप का जिक्र करते हुए कहते हैं कि क़तर के अमीर के पिता सऊदी अरब के शासकों के ख़िलाफ़ साज़िश करते हुए दिख रहे थे जो उस समय अमीर थे। शिहाबी बताते हैं कि अरब देशों के असंतुष्टों को मिल रहे पैसे को रोकने को लेकर हुए समझौते से मुकर गया और ऐसे लोगों को अल जज़ीरा के प्लेटफॉर्म पर जगह दी गई।
"तीन लाख की आबादी वाले क़तर ने दो करोड़ 20 लाख की आबादी वाले सऊदी अरब, बहरीन, यूएई और मिस्र को चुनौती दी थी।" उन्होंने कहा,"जब आप छोटे होते हैं तो आपको बड़े लीग का खेल नहीं खेलना चाहिए क्योंकि आख़िरकार इसका खामियाजा आप ही को भुगतना पड़ता है।"
अली शिहाबी इस टेप का जिक्र करते हुए कहते हैं कि क़तर के अमीर के पिता सऊदी अरब के शासकों के ख़िलाफ़ साज़िश करते हुए दिख रहे थे जो उस समय अमीर थे। शिहाबी बताते हैं कि अरब देशों के असंतुष्टों को मिल रहे पैसे को रोकने को लेकर हुए समझौते से मुकर गया और ऐसे लोगों को अल जज़ीरा के प्लेटफॉर्म पर जगह दी गई।
"तीन लाख की आबादी वाले क़तर ने दो करोड़ 20 लाख की आबादी वाले सऊदी अरब, बहरीन, यूएई और मिस्र को चुनौती दी थी।" उन्होंने कहा,"जब आप छोटे होते हैं तो आपको बड़े लीग का खेल नहीं खेलना चाहिए क्योंकि आख़िरकार इसका खामियाजा आप ही को भुगतना पड़ता है।"
ईरान के प्रति झुकाव
क़तर ने इस आर्थिक नाकेबंदी से उबरने के रास्ते खोज लिए है। उसने खाड़ी में
सात अरब डॉलर की लागत से एक बंदरगाह तैयार किया है। पड़ोसियों के प्रतिबंध के बीच
ये बंदरगाह क़तर को सहारा दे रहा है। इस बंदरगाह का इस्तेमाल साल 2022 के फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप के स्टेडियमों के
निर्माण के लिए बिल्डिंग मटीरियल मंगाने में किया जा रहा है।
बीते समय में क़तर की ईरान से नज़दीकी बढ़ी है। ईरान के साथ क़तर की समुद्री सीमा लगती है। दोनों गैस फ़ील्ड एक दूसरे से लगे हुए हैं। क़तर के हवाई जहाज़ ईरान के वायु क्षेत्र से होकर जाते हैं। क़तर के विदेश मंत्री ने बताया, "ईरान हमारा पड़ोसी है। हमें ईरान से सहयोग और संवाद होने ही रखना है।"
"इस क्षेत्र के कुछ मुद्दों को लेकर हमारे मतभेद हैं लेकिन हम इन्हें झगड़े से नहीं सुलझा सकते हैं। क़तर संकट के शुरू होने के समय सऊदी अरब का पक्ष लेने वाले अमरीका ने भी बाद में अरब देशों की एकता की वकालत की। हालांकि अमरीका की इस अपील का मक़सद ईरान पर लगाए जा रहे प्रतिबंध के लिए खाड़ी देशों का समर्थन जुटाना था। क़तर में अमरीका का एक बड़ा सैनिक अड्डा है।
बीते समय में क़तर की ईरान से नज़दीकी बढ़ी है। ईरान के साथ क़तर की समुद्री सीमा लगती है। दोनों गैस फ़ील्ड एक दूसरे से लगे हुए हैं। क़तर के हवाई जहाज़ ईरान के वायु क्षेत्र से होकर जाते हैं। क़तर के विदेश मंत्री ने बताया, "ईरान हमारा पड़ोसी है। हमें ईरान से सहयोग और संवाद होने ही रखना है।"
"इस क्षेत्र के कुछ मुद्दों को लेकर हमारे मतभेद हैं लेकिन हम इन्हें झगड़े से नहीं सुलझा सकते हैं। क़तर संकट के शुरू होने के समय सऊदी अरब का पक्ष लेने वाले अमरीका ने भी बाद में अरब देशों की एकता की वकालत की। हालांकि अमरीका की इस अपील का मक़सद ईरान पर लगाए जा रहे प्रतिबंध के लिए खाड़ी देशों का समर्थन जुटाना था। क़तर में अमरीका का एक बड़ा सैनिक अड्डा है।
देशभक्ति की खुमारी
दोहा के बाज़ार साउक़ वाकिफ में क़तरी लोगों को ये उम्मीद है कि एक दिन ये
नाकेबंदी ख़त्म हो जाएगी। इस नाकेबंदी की वजह से खाड़ी क्षेत्र के दूसरे देशों में
रह रहे रिश्तेदारों और दोस्तों से क़तरी लोगों का संपर्क टूट गया है। एक शख़्स
बताते हैं कि खाड़ी के देश एक दूसरे से शादी के संबंधों के जरिए जुड़े हुए हैं। इस
शख़्स की पत्नी सऊदी की हैं और वे अब अपनी मां से मिलने नहीं जा पा रही हैं।
वो कहते हैं, "परिवार वालों से अलग होना बहुत तकलीफदेह होता है।" लेकिन इसके साथ ही लोगों में देशभक्ति की खुमारी चढ़ रही है। गलियों में बच्चे हीलियम गैस भरे गुब्बारे उड़ाते देखे जा सकते हैं। इन गुब्बारों पर उनके नौजवान अमरी शेख तमीम बिन हमाद अलथानी की तस्वीर है। उनका चेहरा कार के स्टिकर, मग, टी-शर्ट और गगनचुंबी इमारतों पर हर तरफ़ देखा जा सकता है।
क़तर के रईस बनने से काफी पहले साद अल जासिम समंदर में गोते लगाकर मोतियां चुना करते थे। वे कहते हैं कि क़तर को अपने स्टैंड पर कायम रहना होगा। "हम पहले से बेहतर स्थिति में हैं। जो हम पहले लोगों से खरीद रहे थे, अब यहां खुद बना रहे हैं। ये मेरा देश है।" उन्होंने कहा,"मैं इसे मोहब्बत करता हूं और ये दूसरे देशों से सैंकड़ों गुना बेहतर है।"
वो कहते हैं, "परिवार वालों से अलग होना बहुत तकलीफदेह होता है।" लेकिन इसके साथ ही लोगों में देशभक्ति की खुमारी चढ़ रही है। गलियों में बच्चे हीलियम गैस भरे गुब्बारे उड़ाते देखे जा सकते हैं। इन गुब्बारों पर उनके नौजवान अमरी शेख तमीम बिन हमाद अलथानी की तस्वीर है। उनका चेहरा कार के स्टिकर, मग, टी-शर्ट और गगनचुंबी इमारतों पर हर तरफ़ देखा जा सकता है।
क़तर के रईस बनने से काफी पहले साद अल जासिम समंदर में गोते लगाकर मोतियां चुना करते थे। वे कहते हैं कि क़तर को अपने स्टैंड पर कायम रहना होगा। "हम पहले से बेहतर स्थिति में हैं। जो हम पहले लोगों से खरीद रहे थे, अब यहां खुद बना रहे हैं। ये मेरा देश है।" उन्होंने कहा,"मैं इसे मोहब्बत करता हूं और ये दूसरे देशों से सैंकड़ों गुना बेहतर है।"