घोटालों
की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार निदेशालय में
ऑनलाइन तबादले की व्यवस्था पर भी सवाल उठने लगे हैं। यह व्यवस्था लागू होने के साथ
ही ध्वस्त हो गई।
मुख्यमंत्री
के निर्देश पर निदेशालय ने आनन-फानन में यह व्यवस्था शुरू तो कर दी, लेकिन विभागीय मानव संपदा पोर्टल अधिकांश समय ठप ही रहा।
नतीजा यह रहा कि ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि बीतने के बाद भी करीब 90 कर्मी ही आवेदन कर पाए हैं। इससे निदेशालय में ट्रांसफर का ‘खेल’ शुरू
होने की आशंका जताई जा रही है।
दरअसल, लिपिकों के प्रमोशन में अनियमितता, बिना पद के ही चहेते लिपिकों को उच्चपदों पर नियुक्त करने, पिछले वर्षों में सरकार की घोषित तबादला नीति का उल्लंघन करने की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची थीं। इस पर सीएम ने अन्य विभागों की तरह यहां भी ऑनलाइन तबादला करने का निर्देश दिया था।
इसी आधार पर निदेशालय ने आनन-फानन में मानव संपदा पोर्टल के जरिए ऑनलाइन तबादले की व्यवस्था लागू कर दी। पोर्टल पर 15 से 22 जून तक सभी कर्मचारियों से तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। लेकिन इस दौरान पोर्टल अप्रत्याशित ढंग से ठप रहा। इससे ज्यादातर कर्मचारी आवेदन ही नहीं कर पाए।
सूत्रों की माने तो ऑनलाइन आवेदन के लिए सिर्फ एक सप्ताह का ही समय दिया गया था, लेकिन अधिकांश समय पोर्टल ठप रहने से अधिकांश कर्मचारी आवेदन ही नहीं कर पाए। पॉलिसी के मुताबिक कुल 20 फीसदी कर्मचारियों के ही तबादले होने हैं। इस तरह 4869 में से सिर्फ 974 कर्मियों का ही तबादला होना है, लेकिन करीब 90 कर्मी ही आवेदन कर पाए। सूत्र बचे कर्मियों का तबादला फिर से पुरानी व्यवस्था के तहत करने की आशंका जता रहे हैं।
दरअसल, लिपिकों के प्रमोशन में अनियमितता, बिना पद के ही चहेते लिपिकों को उच्चपदों पर नियुक्त करने, पिछले वर्षों में सरकार की घोषित तबादला नीति का उल्लंघन करने की शिकायतें मुख्यमंत्री तक पहुंची थीं। इस पर सीएम ने अन्य विभागों की तरह यहां भी ऑनलाइन तबादला करने का निर्देश दिया था।
इसी आधार पर निदेशालय ने आनन-फानन में मानव संपदा पोर्टल के जरिए ऑनलाइन तबादले की व्यवस्था लागू कर दी। पोर्टल पर 15 से 22 जून तक सभी कर्मचारियों से तबादले के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए थे। लेकिन इस दौरान पोर्टल अप्रत्याशित ढंग से ठप रहा। इससे ज्यादातर कर्मचारी आवेदन ही नहीं कर पाए।
सूत्रों की माने तो ऑनलाइन आवेदन के लिए सिर्फ एक सप्ताह का ही समय दिया गया था, लेकिन अधिकांश समय पोर्टल ठप रहने से अधिकांश कर्मचारी आवेदन ही नहीं कर पाए। पॉलिसी के मुताबिक कुल 20 फीसदी कर्मचारियों के ही तबादले होने हैं। इस तरह 4869 में से सिर्फ 974 कर्मियों का ही तबादला होना है, लेकिन करीब 90 कर्मी ही आवेदन कर पाए। सूत्र बचे कर्मियों का तबादला फिर से पुरानी व्यवस्था के तहत करने की आशंका जता रहे हैं।
39 जिलों
में डीपीओ की भी नहीं बन पाई आईडी
प्रदेश
के 75 में से 39 जिलों
में डीपीओ का पद रिक्त होने से उन जिलों में डीपीओ की आईडी ही नहीं बनी है। इससे
वहां के कर्मियों का डाटा पोर्टल पर अपलोड ही नहीं हुआ है। इसके बावजूद उनके
तबादले की सूची तैयार हो रही है।
नोडल अधिकारी को नहीं पता कितने हुए आवेदन
मानव संपदा पोर्टल के संचालन की नोडल अधिकारी व सहायक निदेशक नीलिमा सचान ने यह तो स्वीकार किया कि पोर्टल केबार-बार ठप रहने से सभी लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएं है, लेकिन उन्होंने संख्या नहीं बताई। कहा, 22 जून को ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि थी और 23 को ऑफिस बंद था। सोमवार को शासन की बैठकों में व्यस्त होने से यह नहीं देख पाईं कि कितने कर्मचारियों के आवेदन अपलोड हुए हैं।
नोडल अधिकारी को नहीं पता कितने हुए आवेदन
मानव संपदा पोर्टल के संचालन की नोडल अधिकारी व सहायक निदेशक नीलिमा सचान ने यह तो स्वीकार किया कि पोर्टल केबार-बार ठप रहने से सभी लोग ऑनलाइन आवेदन नहीं कर पाएं है, लेकिन उन्होंने संख्या नहीं बताई। कहा, 22 जून को ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि थी और 23 को ऑफिस बंद था। सोमवार को शासन की बैठकों में व्यस्त होने से यह नहीं देख पाईं कि कितने कर्मचारियों के आवेदन अपलोड हुए हैं।