प्रदेश सरकार
बेसिक शिक्षा के मद में भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन अफसरों की उदासीनता शिक्षा का स्तर उठाने में आड़े आ रही है। सम्भल
में सरायतरीन के दरबार मुहल्ले में स्थित प्राथमिक स्कूल इसका एक उदाहरण है,
जो कब्रिस्तान में टिन शेड में चलता है। वर्ष 1952 से शुरू हुए इस स्कूल के पास अफसरों की बेरुखी के चलते न तो अपना भवन है
और न ही सुविधाएं।
करीब सवा लाख की मुस्लिम आबादी वाले सरायतरीन के मुहल्ला दरबार में
स्थित इस स्कूल में 133 बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों में पढऩे की और
अध्यापकों को पढ़ाने की ललक है लेकिन सरकारी उपेक्षा उम्मीदों को तोड़ रही है।
अफसर जानकर भी बेपरवाह बने हुए हैं। यह बात भी सही है कि सरायतरीन को बसाने वाले
दरबार शाह फतेउल्लाह साहब की जियारत नहीं रहती तो इस स्कूल का अस्तित्व भी नहीं
होता।
पहले किराए के भवन में चलता था स्कूल
वर्ष 1952 में बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल का संचालन प्राइमरी स्कूल दरबार के नाम से शुरू किया। कक्षा एक से पांचवीं तक का यह स्कूल कुछ साल तक किराए के भवन में चला। बाद में स्कूल को कब्रिस्तान में लाया गया। जगह को सही कर प्रधानाध्यापक तारिक मुहम्मद खान ने आसपास के लोगों की मदद से टिनशेड डलवा दिया। इसके बाद किनारों पर पर्दे लगा दिए गए जिससे बच्चों को कब्रिस्तान का अहसास न हो। सुबह आठ बजे प्रार्थना के बाद इंटरवल से पहले तक बच्चों को कब्रिस्तान के अंदर पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है। इसके बाद टिनशेड में पढ़ाई होती है। इसी जगह पर बच्चों को मिड-डे मिल भी मिलता है। यहां से पढऩे के बाद बच्चे दोपहर बाद दीनी तालीम के लिए मदरसे में चले जाते हैं। स्कूल में प्रधानाध्यापक के अलावा दो शिक्षामित्र मुमताज जहां व हिना कौशल की तैनाती है।
वर्ष 1952 में बेसिक शिक्षा विभाग ने स्कूल का संचालन प्राइमरी स्कूल दरबार के नाम से शुरू किया। कक्षा एक से पांचवीं तक का यह स्कूल कुछ साल तक किराए के भवन में चला। बाद में स्कूल को कब्रिस्तान में लाया गया। जगह को सही कर प्रधानाध्यापक तारिक मुहम्मद खान ने आसपास के लोगों की मदद से टिनशेड डलवा दिया। इसके बाद किनारों पर पर्दे लगा दिए गए जिससे बच्चों को कब्रिस्तान का अहसास न हो। सुबह आठ बजे प्रार्थना के बाद इंटरवल से पहले तक बच्चों को कब्रिस्तान के अंदर पेड़ के नीचे पढ़ाया जाता है। इसके बाद टिनशेड में पढ़ाई होती है। इसी जगह पर बच्चों को मिड-डे मिल भी मिलता है। यहां से पढऩे के बाद बच्चे दोपहर बाद दीनी तालीम के लिए मदरसे में चले जाते हैं। स्कूल में प्रधानाध्यापक के अलावा दो शिक्षामित्र मुमताज जहां व हिना कौशल की तैनाती है।
हमारे पास जो
भी व्यवस्था है उससे ही स्कूल चल रहा है। यह जगह दरबार की है। इसे केवल हमारे
प्रयास से स्कूल के लिए दिया गया है। हमें स्थायी जगह मिल जाए तो यहां बच्चों की
संख्या भी बढ़ेगी और स्कूल भी बेहतर हो जाएगा।
- तारिक मुहम्मद खान, प्रधानाध्यापक
इस स्कूल की जानकारी अभी तक मुझे नहीं दी गई है। बीएसए और खंड
शिक्षा अधिकारी से स्कूल की रिपोर्ट ली जाएगी। स्कूल को अपना भवन क्यों नहीं मिला, इसकी जानकारी की जाएगी। पूरी कोशिश होगी कि स्कूल को अपना भवन मिल जाए।
- निरंजन देव वर्मा, एडी बेसिक मुरादाबाद मंडल