हाईकोर्ट ने
यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव को अवमानना का प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए
उनको आदेश के पालन का एक और अवसर दिया है। उनको चार सप्ताह में आदेश का पालन करने
के लिए कहा है। कोर्ट ने याची से कहा है कि वह खुद का पता लिखा और टिकट लगा लिफाफा
इस आदेश के साथ बोर्ड सचिव को भेजें और सचिव याची को लिए गए निर्णय से अवगत कराएं।
प्रयागराज के मुकुल अग्रवाल और 27 अन्य की अवमानना याचिका पर न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने सुनवाई
की। याचीगण का कहना है कि वह लोग बोर्ड में सर्टिफिकेट लेखक का काम कर रहे थे।
हाईकोर्ट ने लिपिक भर्ती में उनको वरीयता देने का निर्देश दिया था। बोर्ड ने
सुप्रीमकोर्ट को आश्वासन दिया था कि वरीयता दी जाएगी। मगर 1999 में की गई
भर्ती में उनको वरीयता नहीं दी गई। आरटीआई में जवाब मांगा में बोर्ड ने कोई उत्तर
नहीं दिया तो अपील दाखिल की गई। कोर्ट ने अपील तय करने का आदेश दिया मगर वह भी
नहीं हुआ तो अवमानना याचिका दाखिल की गई है।