पहले सपा और अब भाजपा सरकार भी 17 अतिपिछड़ी जातियों को
अनुसूचित जातियों की श्रेणी में लाना चाहती है। इस मामले में दिसंबर 2016 में पिछड़े वर्ग की सूची में सम्मिलित 17 जातियों कहार, कश्यप, केवट, मल्लाह, निषाद, कुम्हार, प्रजापति, धीवर, बिंद, भर, राजभर, धीमर, बाथम, तुरहा, गोड़िया, माझी और मछुआ को अनुसूचित जाति में शामिल करने से संबंधित शासनादेश जारी
किया गया था। संबंधित शासनादेश के खिलाफ डॉ. बीआर आंबेडकर ग्रंथालय एवं जनकल्याण
ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
इस पर कोर्ट ने अग्रिम आदेश तक स्टे दे दिया था। 29 मार्च 2017 को हाई
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस शासनादेश के तहत कोई भी जाति प्रमाण पत्र जारी
किया जाता है तो वह न्यायालय के अंतिम फैसले के अधीन होगा। इसके अनुपालन में
प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने शासनादेश जारी किया है। उसमें कहा गया है कि
उच्च न्यायालय, इलाहाबाद
द्वारा 29 मार्च 2017 को पारित
आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए परीक्षण के उपरांत सुसंगत अभिलेखों के आधार पर
नियमानुसार जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाने के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित
करें।