युद्ध और हिंसा के कारण अपने घरों से विस्थापित हुए 7.1 करोड़ लोग
दुनियाभर में
हिंसा, युद्ध और उत्पीड़न
के कारण करीब 7.1 करोड़ लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं। ये बात संयुक्त
राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने एक रिपोर्ट में बुधवार को कही है। इसमें बीते साल के
मुकाबले बीस लाख की वृद्धि हुई है।
सालाना 'ग्लोबल ट्रेंड्स' रिपोर्ट को संयुक्त
राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग ने जारी किया है। जिसमें साल 2018 के आखिर तक
दुनियाभर के शरणार्थी, शरण चाहने वाले और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की गणना की गई
है। गुरुवार को विश्व प्रवासी दिवस के दिन इन आंकड़ों पर अंतरराष्ट्रीय कानून, मानवाधिकार और घरेलू राजनीति में
बहस हो सकती है। खासतौर पर अमेरिका जैसे देशों में जहां प्रवासियों के खिलाफ एक
तरह से आंदोलन चल रहे हैं।
हाई कमिश्नर फिलिपो ग्रांडी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि प्रवासी जिस देश में जाते हैं, वहां भी उन्हें नौकरी और सुरक्षा को लेकर खतरों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके कि वो खुद असुरक्षा और खतरे से बचकर भागे होते हैं।
इस रिपोर्ट में लोगों की कहानियों पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे वो जीने के लिए संघर्ष करते हैं और नदियां, रेगिस्तान, समुद्र और अन्य बाधाएं जैसे प्राकृतिक और मानव निर्मित (सरकारी उत्पीड़न, सामूहिक हत्याएं, यौन शोषण, और अन्य हिंसा) को पार करके आते हैं।
यूएनएचसीआर का कहना है कि 7.08 करोड़ लोगों को बीते साल के अंत तक मजबूरन विस्थापित होना पड़ा था। ये आंकड़ा 2017 में 6.85 करोड़ था। इसमें बीते एक दशक में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इनमें से 4.1 करोड़ लोग अपने देशों में ही विस्थापित हुए हैं।
सीरिया में युद्ध चलते हुए आठ साल से भी अधिक का समय हो गया है, यहां के लोग सबसे अधिक मात्रा में विस्थापित हो रहे हैं। इनकी संख्या 1.3 करोड़ बताई जा रही है। साल 2018 में शरण मांगने वाले लोगों में वेनेजुएला के लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। जो तीन लाख 40 हजार से अधिक है। शरण-चाहने वालों को अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त होता है। उन्हें शरणार्थी के तौर पर रहने के लिए स्वीकृति या अस्वीकृति का इंतजार करना पड़ता है।
हाल ही के वर्षों में 40 लाख लोगों ने दक्षिणी अमेरिकी देशों को छोड़ दिया है। इनमें से सबसे अधिक लोग पेरू, कोलंबिया और ब्राजील गए हैं। औपचारिक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की मांग केवल आठवें हिस्से ने की है। इस संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है, जिससे अन्य देशों पर प्रभाव भी बढ़ रहा है। ग्रांडी का कहना है कि लोगों की संख्या में अगर कमी नहीं हुई, तो जिन देशों में ये लोग शरण ले रहे हैं उन्हें शरणार्थियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपाय उठाने होंगे।
अमेरिका में फिलहाल मेक्सिको से आने वाले शरणार्थियों का मुद्दा काफी उठा हुआ है। यहां प्रवासियों द्वारा अपराध के कई मामले भी सामने आए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अक्सर उनका विरोध करते देखा जा सकता है। उन्होंने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी प्रवासियों का मुद्दा उठाया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर शरणार्थी विकासशील देशों में जा रहे हैं ना कि अमीर देशों में।
हाई कमिश्नर फिलिपो ग्रांडी ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा है कि प्रवासी जिस देश में जाते हैं, वहां भी उन्हें नौकरी और सुरक्षा को लेकर खतरों का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके कि वो खुद असुरक्षा और खतरे से बचकर भागे होते हैं।
इस रिपोर्ट में लोगों की कहानियों पर भी प्रकाश डाला गया है कि कैसे वो जीने के लिए संघर्ष करते हैं और नदियां, रेगिस्तान, समुद्र और अन्य बाधाएं जैसे प्राकृतिक और मानव निर्मित (सरकारी उत्पीड़न, सामूहिक हत्याएं, यौन शोषण, और अन्य हिंसा) को पार करके आते हैं।
यूएनएचसीआर का कहना है कि 7.08 करोड़ लोगों को बीते साल के अंत तक मजबूरन विस्थापित होना पड़ा था। ये आंकड़ा 2017 में 6.85 करोड़ था। इसमें बीते एक दशक में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इनमें से 4.1 करोड़ लोग अपने देशों में ही विस्थापित हुए हैं।
सीरिया में युद्ध चलते हुए आठ साल से भी अधिक का समय हो गया है, यहां के लोग सबसे अधिक मात्रा में विस्थापित हो रहे हैं। इनकी संख्या 1.3 करोड़ बताई जा रही है। साल 2018 में शरण मांगने वाले लोगों में वेनेजुएला के लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। जो तीन लाख 40 हजार से अधिक है। शरण-चाहने वालों को अंतर्राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त होता है। उन्हें शरणार्थी के तौर पर रहने के लिए स्वीकृति या अस्वीकृति का इंतजार करना पड़ता है।
हाल ही के वर्षों में 40 लाख लोगों ने दक्षिणी अमेरिकी देशों को छोड़ दिया है। इनमें से सबसे अधिक लोग पेरू, कोलंबिया और ब्राजील गए हैं। औपचारिक अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा की मांग केवल आठवें हिस्से ने की है। इस संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है, जिससे अन्य देशों पर प्रभाव भी बढ़ रहा है। ग्रांडी का कहना है कि लोगों की संख्या में अगर कमी नहीं हुई, तो जिन देशों में ये लोग शरण ले रहे हैं उन्हें शरणार्थियों को नुकसान पहुंचाने वाले उपाय उठाने होंगे।
अमेरिका में फिलहाल मेक्सिको से आने वाले शरणार्थियों का मुद्दा काफी उठा हुआ है। यहां प्रवासियों द्वारा अपराध के कई मामले भी सामने आए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा अक्सर उनका विरोध करते देखा जा सकता है। उन्होंने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में भी प्रवासियों का मुद्दा उठाया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकतर शरणार्थी विकासशील देशों में जा रहे हैं ना कि अमीर देशों में।