कर्मचारी
भविष्य निधि संगठन के 8.5 करोड़
अंशधारकों को केंद्र सरकार बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। इस झटके से लोगों को
पीएफ खाते में जमा रकम पर भी असर पड़ने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय ने दिया प्रस्ताव
इकोनॉमिक
टाइम्स पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने ईपीएफओ को जो प्रस्ताव दिया है, उसके मुताबिक वो जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज में कटौती करना
चाहती है। सरकार का तर्क है कि बैंकों में जो ब्याज मिलता है, उससे काफी ज्यादा
ब्याज पीएफ खाते में मिलता है। इसको बैंक खातों में मिलने वाले ब्याज के समान करना
होगा।
बैंकों पर पड़ रहा है असर
वित्त
मंत्रालय के सूत्रों ने कहा है कि इस वजह से बैंक भी लोन पर लगने वाली ब्याज दर को
कम नहीं कर पा रहे हैं। अभी ईपीएफओ 8.65 फीसदी की
दर ब्याज दे रहा है। अभी
महंगाई दर तीन फीसदी के करीब है और बैंकों में बचत खाता में जो ब्याज मिलता है वो
चार से लेकर छह फीसदी के बीच है। हालांकि एफडी में बैंक छह से आठ फीसदी का ब्याज
देते हैं।
लोन की ब्याज दर ज्यादा
बैंकों
से जो लोन मिलता है, उस पर
लोगों को बचत खाते के मुकाबले ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है। बैंकों ने इसलिए
फरवरी से अब तक 10-15 बेसिस प्वाइंट की कमी की है। हालांकि रिजर्व बैंक 75 बेसिस प्वाइंट की रेपो रेट में कमी कर चुका है। श्रम
मंत्रालय ने कहा है कि वो इस मामले को लेकर वित्त
मंत्रालय से बात करेगा। इससे उम्मीद है कि मामले को जल्द सुलझा लिया जाएगा।
आईएलएंडएफएस
में ईपीएफओ ने अपना बहुत सारा पैसा निवेश कर रखा है। वित्त मंत्रालय का सवाल है कि आईएलएंडएफएस फिलहाल दिवालिया होने की कगार पर है ऐसे में क्या ईपीएफओ के पास इस साल पर्याप्त फंड है, जिससे वो इतनी दर पर अंशधारकों को ब्याज दे सकेगा?
पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने श्रम सचिव को एक पत्र भेजकर यह सवाल उठाया है कि पिछले वर्षों में पीएफ ब्याज दर के भुगतान के बाद सरप्लस को केवल ईपीएफओ के अनुमानों में क्यों दिखाया है जबकि यह वास्तव में नहीं दिखता है। साथ ही मंत्रालय ने आईएलएंडएफएस और इसके जैसे जोखिम भरे निवेश के बारे में जानकारी मांगी है। यह पत्र दोनों मंत्रालयों के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भेजा गया है।
पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने श्रम सचिव को एक पत्र भेजकर यह सवाल उठाया है कि पिछले वर्षों में पीएफ ब्याज दर के भुगतान के बाद सरप्लस को केवल ईपीएफओ के अनुमानों में क्यों दिखाया है जबकि यह वास्तव में नहीं दिखता है। साथ ही मंत्रालय ने आईएलएंडएफएस और इसके जैसे जोखिम भरे निवेश के बारे में जानकारी मांगी है। यह पत्र दोनों मंत्रालयों के बीच कई दौर की चर्चा के बाद भेजा गया है।
आय से ज्यादा खर्च कर रहा ईपीएफओ
2016-17 के लिए ईपीएफओ के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध ऑडिट खातों में आय
से अधिक व्यय दर्ज है। हालांकि, यह डाटा
विशिष्ट विवरण नहीं देता है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, हम पहले भी सरप्लस फंड को लेकर श्रम मंत्रालय के सामने सवाल
उठा चुके हैं। अधिकारी का कहना है कि यदि ईपीएफओ डिफॉल्ट करता है तो ग्राहकों को
भुगतान की जिम्मेदारी सरकार के पास होगी। ईपीएफओ के पास कुल 8 लाख करोड़ रुपये का फंड है।
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उनकी तमाम गणना सही है। पिछले 20 वर्षों से ज्यादा समय से ऐसे ही गणना होती रही है। जिस मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना की जाती है वह नई नहीं है। वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं, उनका जवाब दे दिया जाएगा।
ईपीएफओ के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उनकी तमाम गणना सही है। पिछले 20 वर्षों से ज्यादा समय से ऐसे ही गणना होती रही है। जिस मेथडोलॉजी का इस्तेमाल करके ब्याज दर की गणना की जाती है वह नई नहीं है। वित्त मंत्रालय ने कुछ सवाल पूछे हैं, उनका जवाब दे दिया जाएगा।