देश का ग्रामीण विकास मंत्रालय जहां केन्द्र सरकार की ग्रामीण भारत
की जनहित योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने में जुटा हुआ है। वहीं गावों के विकास
से जुड़े होने के बावजूद मंत्रालय के अफसर हिन्दी से कोसों दूर हैं। यहां तक कि
अधिकारिक कामकाज में 100 फीसदी
हिन्दी के इस्तेमाल का लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पा रहा है। वहीं मंत्रालय ने अब 'हिन्दी नहीं जानने वाले' अफसरों को हिन्दी का
प्रशिक्षण देने की योजना बनाई है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय इन दिनों अपने अफसरों को हिन्दी सिखाने में
जुटा हुआ है। मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक 15 जून को मंत्रालय की 'आधिकारिक भाषा कार्यान्वयन
समिति' की एक बैठक हुई थी, जिसमें
बताया गया था कि मंत्रालय के सभी काम हिंदी में होने चाहिए। सूत्रों ने बताया कि
मंत्रालय के कई विभागों में हिंदी में पत्राचार, नोट लेने
अथवा टिप्पणियों का प्रतिशत बेहद कम है।
सूत्रों ने बताया कि मीटिंग के मिनट्स के मुताबिक, आधिकारिक कामकाज में हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने को लेकर मंत्रालय एक तिमाही रिपोर्ट तैयार करेगा। आखिरी तिमाही की रिपोर्ट के मुताबिक बजट, सूचना शिक्षा और संचार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, नीति एवं योजना समेत 10 विभाग हिन्दी में 100 फीसदी पत्राचार के तय लक्ष्य से काफी पीछे रहे हैं। मिनट्स में यह भी खुलासा हुआ कि ये 10 विभाग हिन्दी में अपने नोट्स और टिप्पणियां लिखने को लेकर 75 फीसदी लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पााए।
वहीं मिनट्स में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय की वेबसाइट को पूरी तरह से द्विभाषी बनाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही, हिन्दी में पत्राचार को बढ़ाने के लिए, मंत्रालय ने बैठक में सुझाव दिया कि हिन्दी में एक कवर लेटर के साथ दस्तावेज भेजे जाएंगे और लक्ष्य से पीछे रहने वाले विभागों के अफसरों को लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी संभव प्रयास अपनाने को कहा जाए। वहीं मंत्रालय में खाली हिन्दी पदों को आउटसोर्स करने का भी फैसला लिया गया।
सूत्रों ने बताया कि मीटिंग के मिनट्स के मुताबिक, आधिकारिक कामकाज में हिन्दी के इस्तेमाल को बढ़ाने को लेकर मंत्रालय एक तिमाही रिपोर्ट तैयार करेगा। आखिरी तिमाही की रिपोर्ट के मुताबिक बजट, सूचना शिक्षा और संचार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, नीति एवं योजना समेत 10 विभाग हिन्दी में 100 फीसदी पत्राचार के तय लक्ष्य से काफी पीछे रहे हैं। मिनट्स में यह भी खुलासा हुआ कि ये 10 विभाग हिन्दी में अपने नोट्स और टिप्पणियां लिखने को लेकर 75 फीसदी लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पााए।
वहीं मिनट्स में यह भी कहा गया है कि मंत्रालय की वेबसाइट को पूरी तरह से द्विभाषी बनाने के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए जाएं। साथ ही, हिन्दी में पत्राचार को बढ़ाने के लिए, मंत्रालय ने बैठक में सुझाव दिया कि हिन्दी में एक कवर लेटर के साथ दस्तावेज भेजे जाएंगे और लक्ष्य से पीछे रहने वाले विभागों के अफसरों को लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी संभव प्रयास अपनाने को कहा जाए। वहीं मंत्रालय में खाली हिन्दी पदों को आउटसोर्स करने का भी फैसला लिया गया।
हिन्दी जानने वाले 20 स्टेनोग्राफर्स को अफसरों के साथ लगाया जाएगा
इसके अलावा मंत्रालय में हिन्दी जानने वाले 20 स्टेनोग्राफर्स को उन अफसरों के
साथ लगाया जाए, जो हिन्दी का प्रयोग करना चाहते हैं। सूत्रों
ने बताया कि मंत्रालय के सभी आधिकारिक संचार और पत्राचार हिन्दी में होने चाहिए,
लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। मंत्रालय यह सुनिश्चित करना चाहता है
कि पूरा कामकाज हिन्दी में हो।
ग्रामीण विकास मंत्रालय पर केंद्र सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं जिसमें मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, ग्राम स्वराज अभियान और ग्रामीण आजीविका जैसी कई योजनाओं की जिम्मेदारी है, जो सीधे देश के ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हुई हैं।
सूत्रों का कहना है कि हिन्दी के इस्तेमाल को लेकर मंत्रालय में इतना जबरदस्त दबाव है कि हिन्दी नहीं जानने वाले अधिकारियों को हिन्दी सीखने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए बोल दिया गया है। साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पुस्तकालयों से हिन्दी किताबों की खरीद करने के लिए भी बोला जा चुका है।
मई 2015 में, एनडीए सरकार ने एक आदेश जारी किया था जिसमें आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के अनुसार सभी सरकारी दस्तावेज हिंदी और अंग्रेजी में द्विभाषी रूप से जारी किए जाएंगे। वहीं फरवरी 2015 में भी सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 'हिंदी के प्रगतिशील उपयोग को सुनिश्चित करने' के लिए हिंदी सलाहकार समिति का गठन भी किया था।
इसके अलावा गृह मंत्रालय पहले ही सभी नौकरशाहों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बने मंत्रालयों के आधिकारिक अकाउंट्स पर अंग्रेजी की बजाय हिंदी को प्राथमिकता देने का निर्देश जारी कर चुका है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय पर केंद्र सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं जिसमें मनरेगा, प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, ग्राम स्वराज अभियान और ग्रामीण आजीविका जैसी कई योजनाओं की जिम्मेदारी है, जो सीधे देश के ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हुई हैं।
सूत्रों का कहना है कि हिन्दी के इस्तेमाल को लेकर मंत्रालय में इतना जबरदस्त दबाव है कि हिन्दी नहीं जानने वाले अधिकारियों को हिन्दी सीखने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के लिए बोल दिया गया है। साथ ही अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पुस्तकालयों से हिन्दी किताबों की खरीद करने के लिए भी बोला जा चुका है।
मई 2015 में, एनडीए सरकार ने एक आदेश जारी किया था जिसमें आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 के अनुसार सभी सरकारी दस्तावेज हिंदी और अंग्रेजी में द्विभाषी रूप से जारी किए जाएंगे। वहीं फरवरी 2015 में भी सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में 'हिंदी के प्रगतिशील उपयोग को सुनिश्चित करने' के लिए हिंदी सलाहकार समिति का गठन भी किया था।
इसके अलावा गृह मंत्रालय पहले ही सभी नौकरशाहों को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बने मंत्रालयों के आधिकारिक अकाउंट्स पर अंग्रेजी की बजाय हिंदी को प्राथमिकता देने का निर्देश जारी कर चुका है।